दर्द के गाँव में ख़ुशियों का बसेरा कैसा

दर्द के गाँव में ख़ुशियों का बसेरा कैसा चाँद के हिस्से में रातें हैं सवेरा कैसा   रोज़ इक दिन मेरे हिस्से का चुरा लेता है वक़्त को देखिये शातिर है लुटेरा कैसा   बँद पलकों में तेरे ख़्वाब हैं, तेरी यादें नूर ही नूर है, इस घर में अँधेरा कैसा   जिनको धरती से … Continue reading दर्द के गाँव में ख़ुशियों का बसेरा कैसा